रेखाचित्र: मनु "बे-तक्ख्ल्लुस" |
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आज और दिनों की अपेक्षा मुख्य मार्ग वाले बाज़ार में कुछ ज्यादा ही भीड़ भड़क्का है | कुछ वार त्योहारों का सीज़न और कुछ साप्ताहिक सोम बाज़ार की वजह से | भीड़ में घिच -पिच के चलते हुए ऐसा लग रहा है जैसे किसी मशहूर मन्दिर में दर्शन के लिए लाइन में चल रहे हों | इतनी मंदी के दौर में भी हर कोई बेहिसाब खरीदारी को तत्पर | सड़क के दोनों तरफ़ बाज़ार लगा है | अजमल खान रोड पर मैं जैसे-तैसे धकेलता-धकियाता सरक रहा हूँ | भीड़ में चलना मुझे सदा से असुविधाजनक लगता है, पर क्या करें, मज़बूरी है | अचानक कुछ आगे खाली सी जगह दिख पड़ी | चार-छः कदम दूर पर एक पागल कहीं से भीड़ में आ घुसा है | एकदम नंग-धड़ंग, काला कलूटा, सूगला सा | साँसों में सड़ांध के डेरे, मुंह पर भिनकती मक्खियाँ, सिर में काटती जूएँ | इसीलिए यहाँ कुछ स्पेस दिख रहा है | अति सभ्य भीड़ इस अति विशिष्ट नागरिक से छिटककर कुछ दूर-दूर चल रही है |
पर मैं समय की नजाकत को समझते हुए उस पागल की ओर लपका और साथ हो लिया | हाँ! अब ठीक है | उसका उघड़ा तन मुझे शेषनाग की तरह सुरक्षित छाया प्रदान कर रहा है | मैं पूर्णतः आश्वस्त हूँ | हाँ! इतना नंगा आदमी कम से कम मानव बम तो नहीं हो सकता......|
नाम - मनु "बे-तक्ख्ल्लुस" जन्म - २ मार्च १९६७ स्थान - नई दिल्ली लेखन - जाने कब से भाषा - हिन्दवी संगीत - भारतीय शास्त्रीय संगीत ग़ज़लें - मेंहदी हसन, गुलाम अली, बेगम अख्तर रूचि- पेंटिंग, लेखन, संगीत सुनना ब्लॉग - manu-uvaach.blogspot.com ई-मेल - manu2367@gmail.com |
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12 कहानीप्रेमियों का कहना है :
bahut achha itna nanga aadmi manav bomb nahi ho sakta. in dino kisi ko bhi manav bomb bana dene ka riwaz chal pada hai..
वाह! मनु जी,
इतने कम शब्दों मैं इतना कुछ कह दिया. बहुत विशिष्ट शैली है आपकी. इतना सुंदर लिखने के लिए बधाई.
बहुत बढ़िया कहानी...
अति सभ्य भीड़ इस अति विशिष्ट नागरिक से छिटककर कुछ दूर-दूर चल रही है |
इस लेखन शैली को बनाए रखे अच्छी लघुकथा है
इस कहानी का अंदाज़ मुझे पसंद आया। लघुकथाओं की यही विशेषता होती है कि वे कम विस्तार में बहुत बड़ा कथ्य समेटे होते हैं।
प्रतिक्रियाओं के लिए सभी को धन्यवाद ! उचित प्रोत्साहन एवं आलोचना मिलते रहे तो भविष्य में भी अच्छा लिखने का प्रयास करूँगा |
बहुत खूब!!!!
वास्तव मैं मानव बम से कही ज्यादा सुरक्षित रूप.
समाज पर कटाक्ष उत्तम रहा
अंत पुरी कहानी का सार लिये हुए बखूबी निभाया है कथाकार ने
बधाई !!
वाह मनु जी
बहुत ही अच्छी लधुकथा
कम शब्दों इतनी गहरी बात
क्या बात है कहानी के अंत ने तो सोचने पे मजबूर करदिया .आप ने तो बस कमाल ही कर दिया है सुंदर कहानी के लिए बधाई
सादर
रचना
लघुकथा की कठिन विधा में भी आप सिद्धहस्त है. बिन्दु में सिन्धु समेटने की सामर्थ्य सराहनीय है.
लघुकथा की कठिन विधा में भी आप सिद्धहस्त है. बिन्दु में सिन्धु समेटने की सामर्थ्य सराहनीय है.
क्या बात है गागर में सागर भर दिया आपने !!
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