"राम नाम सत्य है....
"ये किसकी अर्थी जा रही है भाई?", एक आदमी ने शवयात्रा जाती हुई देखी तो दूसरे से पूछा।
"अरे, तुम्हें नहीं पता? बहुत ऊँचे पद पर थीं ये बूढ़ी अम्मा। सुना है पद्मश्री मिला हुआ था", जवाब मिला।
"पर ये हैं कौन?"
"ज्यादा तो नहीं पता पर कोई मेजर हुए हैं, शायद ध्यानचंद नाम है उनका। उन्हीं की माँ थीं बेचारी"
"ध्यानचंद?? ज्यादा सुना तो नहीं हैं इस आदमी के बारे में"
"पूरे लगन से अपनी माँ का ख्याल रखता था वो। सुना है आँच तक नहीं आने दी कभी भी। फिरंगियों को भी पास नहीं भटकने दिया था"
"हम्म"
"पर आज देखो, बेचारी को कोई चार काँधे देने वाला भी नहीं मिला"
"कोई बीमारी हो गई थी क्या? कौन कौन थे इनके घर में?"
"परिवार तो अच्छा बड़ा था, पर पोते-पोतियों ने अपने बाप का नाम मिट्टी में मिला दिया। बिल्कुल भी इज़्ज़त नहीं दी अपनी दादी को। बीमारी में भी कोई सहारा न दिया। एक तरह से ये ही मौत के जिम्मेदार हैं।"
"पर पद्मश्री या पद्मविभूषण जिन्हें मिला उन अम्मा का सरकार ने तो ध्यान रखा होगा।"
" हा हा, कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो भाई, सटक गये हो क्या? सरकार ने कभी किसी का ध्यान रखा है जो इनका रखती। पता नहीं कितनी ही बार सरकार से मदद माँगी। हारी बीमारी में भी एक फूटी कौड़ी भी न मिली। आज की तारीख में देखो तो पूरी तरह से नजरअंदाज़ कर दिया था इन्हें।"
"अच्छा!"
"और नहीं तो क्या?"
"पर आस पड़ौसी, या जान पहचान वाले?"
"कोई किसी का सगा नहीं होता दोस्त। सब अपने मतलब का करते हैं। अम्मा से उन्हें क्या सारोकार होगा। कोई जमीन जायदाद तो थी नहीं। कोई पैसा नहीं। तो फिर क्यों अपना समय नष्ट करते?"
"सही कहते हो। पर मैंने इन सबके बारे में कभी सुना नहीं। टीवी तो मैं तो रोज़ाना देखता हूँ। सचिन, शाहरूख, धोनी, युवराज, अमिताभ, ऐश्वर्य इन सबके बारे में तो आता रहता है पर इन अम्मा के बारे में नहीं पता चला। कब मृत्यु हुई है इनकी?"
"यही कोई २ दिन पहले। कहीं बाहर गईं थीं। तीर्थ पर। कहते हैं वहाँ से वापस आते आते ही दिल का दौरा पड़ा और.."
"ओह। पर मैंने तो कोई खबर नहीं देखी। ब्रेकिंग न्यूज़ में इसका कोई जिक्र ही नहीं था"
"हाँ। हो सकता है।"
"पर इतनी महान होते हुए भी ऐसी दर्दनाक मौत की चिता को आग लगाने वाला भी न मिला। सचमुच अफसोस है। किसी ने कुछ करा भी नहीं।"
"किसी की कद्र उसके जाने के बाद ही होती है। अब देखना, तुम्हें यही खबर दिखाई देखी हमेशा टीवी पर।"
"पर देखना ये है कि कब तक? अरे पर तुमने अभी तक इनका नाम नहीं बताया"
"मैंने अभी अभी किसी के मुँह से सुना था। उसने इनका नाम हॉकी बतलाया है। तो यही नाम होगा।"
"हॉकी..."
राम नाम सत्य है की ध्वनि फिर से आने लगी थी।
कथाकार- तपन शर्मा
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22 कहानीप्रेमियों का कहना है :
वाह तपन जी
बहुत अच्छी कथा आपने लिखी है
बहुत अच्छे
तपन जी आपने हाकी की दुर्दशा पर जो ताना बाना बुना है इस कहानी के रूप में वह बहुत ही सही लिखा है .कभी इस खेल में परचम लहराने वाली टीम के खिलाड़ी जिस तरह वापस लौटे देख कर दुःख हुआ ..अपने ही देश में यह खेल सतौला और बोना हो गया है ..बहुत अच्छी तरह आपने इस दर्द को इस लघु कथा में उतारा है ..!!
tapan jee,
ek achhe laghu katha aur saamyaik hone ke kaarna iskee saarthaktaa aur badh jaatee hai.
tapan ji aapka vyangay sundar ban pada hai ......seema
Bahut Khoob likha hai aapne...Perfect timing ke saath bikul sahi Chitran kiya hai..DhyanChandji ke awaaz ko aapne humsab ke samne rakha...Unki dukhi aatma ko aaj kuch rahat mili hogi....
हॉकी की दुर्दशा पर केवल आँसू ही बहाये जा सकते हैं। बहुत खूबसूरती से आपने लघु-कथा बुनी है..
*** राजीव रंजन प्रसाद
good short story and timely, keep it up
तपन शर्माजी की लघु कथा *शवयात्रा* बहुत सामयिक है. व्यंग लिखने पर बधाई .एक ओर तथाकथित विदेशी खेल क्रिकेट को बढावा +वाहवाही +पैसे की लूट . दूसरी ओर नितांत भारतीय हॉकी को पिछडा ,दूसरे दर्जे के खेल की मानसिकता + आगे बढने की कोई विशेष सुविधा नही . आख़िर कब तक जिल्लत सहे अन्य सभी दूसरे खेलो के खिलाड़ी. हमारी नवजवान पीड़ी तो कुंठित होगी ही न. देश के खेलो के सम्मान पर भी तो असर पड़ेगा ही. जरूरत है आवश्यकता के अनुसार अन्य खेलो पर ध्यान देने का पर आज इसका भान किसे है. देशप्रेमी+अन्य खेलप्रेमी ही इस पीड़ा को समझ सकते है.
अलका मधुसूदन पटेल
8 बार के गोल्ड मेडल विजेता का हाल आपने सही शब्दो मे व्यक्त किया हैँ
अच्छी कहानी, एक मार्मिक विषय पर अच्छा वर्णन .
Regards
bahut marmik aur sunder kahani. laghukatha isi tarah kahin na kahin var karni chahiye. badhai
तपन भाई,बहुत अच्छी लघु कथा कही आपने,मजा आ गया
आलोक सिंह "साहिल"
तपन जी!
भारतीय हाकी की दयनीय स्थिति पर आपका यह करारा व्यंग्य बेहद प्रशंसनीय है।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
बहुत अच्छा........ लघुकथा और व्यंग्य दोनों सही मात्रा में है. बधाई ...........
देखने में जो छोटा लगता है
वह छोटा नहीं होता
कई बड़े अर्थ उसमें होते हैं
जो जीवन की सीख दे जाते हैं …
http://www.parikalpnaa.com/2013/12/blog-post_11.html
वाह् तपन भाई आपने बहुत अच्छी तरह से लघु कथा हॉकी का व्रणन किया धन्यवादंंंंंंम
आप यहाँ बकाया दिशा-निर्देश दे रहे हैं। मैंने इस क्षेत्र के बारे में एक खोज की और पहचाना कि बहुत संभावना है कि बहुमत आपके वेब पेज से सहमत होगा।
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