विश्व कप हॉकी के लिए भारतीय टीम का चयन किया जा चुका है। देश छोड़ने से पहले सारे खिलाड़ियों को अपने-अपने परिजनों से मिल आने के लिए दो दिनों की छुट्टी दी गई। रंजीत भी अपने घरवालों से मिलने गया। घर पहुँचने पर उसकी ख़ुशी तब दुगनी हो गई, जब उसने वहाँ अपनी दीदी और डेढ़ वर्षीय भांजे आदित्य को भी पाया।
रंजीत को इस विश्व कप के सरप्राइज पैकेज के रूप में आंका गया है। उन्नीस वर्षीय सेन्ट्रल फार्वड रंजीत के ही नेतृत्व में एक वर्ष पूर्व जूनियर विश्व कप का ख़िताब हमारी झोली में आया था। हाल के तमाम सीरिजों में उसका प्रर्दशन सर्वश्रेष्ठ रहा है।
दो दिनों बाद, तमाम अख़बारों की सुर्ख़ियाँ थी कि प्रैकि्टस के दौरान ‘काफ मसल्स’ खींच जाने के कारण घायल रंजीत की जगह अनुभवी सेन्ट्रल फार्वड रमेश टिर्की अन्तिम ग्यारह में शामिल।
शहर की ख़ुशी पर इस परिवर्त्तन से कोई आंच नहीं पड़ी, क्योंकि दोनों खिलाड़ी इसी मिट्टी की उपज थे। हुआ बस इतना भर था, कि एक भाई ने अपनी बहन की ख़ुशहाली के लिए दहेज की शायद आख़िरी क़िस्त अदा की थी।
कथाकार- अभिषेक पाटनी
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11 कहानीप्रेमियों का कहना है :
हुआ बस इतना भर था, कि एक भाई ने अपनी बहन की ख़ुशहाली के लिए दहेज की शायद आख़िरी क़िस्त अदा की थी।
" a real picture of real life faced by many of us. the story has good moral, and writer is able to convey his thoughts and pain in very few words. This is called an art. last line which ends the story and covey the real purpose of the story is very heart touching."
Regards
अभिषेक जी
कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई । यद्यपि आप जो कहना चाह रहे थे आपने कह दिया फिर भी आवश्यक विस्तार तो होना चाहिए था ।
अभिषेक जी,
कहानी अच्छी है, अंदर तक छूती है। पर, मैं भी औरों की तरह मानता हूँ कि इसको थोड़ा और विस्तार मिलना चाहिए था।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
पाटनी जी मैं शोभा जी और तन्हा भाई के विचारों से सहमत हूँ.हालांकि लघु कथा के भी अपने कुछ विशेष तत्व होते हैं.फ़िर भी कम शब्दों में दिल को छू लेने का अच्छा प्रयास.
आलोक सिंह "साहिल"
अभिषेक जी,
बहुत अच्छी लघुकथा है। और आखिरी पंक्ति में "आखिरी किस्त" ये शब्द सारा हाल बता रहे हैं।
तपन शर्मा
अन्तिम पंक्तियाँ धारदार हैं. पढने वाले पर सीधा असर करती हैं.
वास्तविकता को उजागर करती हुई लघु कथा दिल को छू गयीं.
वाह अभिषेक जी। बहुत अच्छी लघुकथा।
एक अच्छी लघु कथा है यह !!
achi kahani hai
कहानी अच्छी थी. हालाकिं मै ये कहूँगा की दहेज़ के प्रति आप एक सकारात्मक संदेश दे सकते थे. लघु कथा के हिसाब से भी ये कहानी काफी छोटी लगी.. शायद आप इसे और विस्तार से लिख सकते थे.
- सोनी, जर्मनी से
good story but a little elaboration would have been better
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