Thursday, October 9, 2008

लघुकथा: ऐसा भी होता है

निशा, क्‍या बात है, आरती अपना स्‍कूटर रोक कर क्‍या कह रही थी ?

अरे यार कुछ नहीं बस ये कि वो मुझे घर छोड़ देगी उस का घर मेरे घर के पास ही है।

फिर तुम गई क्‍यों नहीं ?

अरे यार एक बार गई थी, थोडी दूर तक जाने के बाद लगा कि सब लोग ऐसे देख रहे थे कि जैसे मैं और वो अजूबा हैं।
उसका ये स्‍कूटर दोनों साइड के एक्‍सट्ररा पहियों के कारण देखते ही एहसास करवा देता हैं कि वो विकलांग है।

तो क्‍या हुआ?

नहीं यार लोग ऐसे घूर रहे थे जैसे मै भी------------मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी। मैं तो उस के साथ कभी नहीं घर जा सकती। मैने तो आरती को बोल भी दिया है।

छः महीने बाद:

क्‍या हुआ निशा इतना गुस्‍से में क्‍यों लग रही हो ?
क्‍या बताऊ जब से आरती ने अपनी डिसेबिलटी के अनुसार एडजस्‍ट करवा कर नयी आटोमेटिक कार ली , इतनी धमंडी हो गई है कि आज मैने कहा कि तुम अगर घर जा रही तो मुझे छोड़ देनां । उसने साफ मना कर दिया कि वो घर नहीं जा रही है । जब से आरती कार में आने लगी है तो जाने खुद को क्‍या समझने लगी है । जमीन पर तो जैसे पांव ही नहीं हैं।शर्म भी नहीं आई कैसे साफ मना कर दिया, दोस्‍तो को कोई ऐसे भी मना करता है!!

--सीमा 'स्‍मृति'

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7 कहानीप्रेमियों का कहना है :

Reetesh Gupta का कहना है कि -

अच्छी लगी लघुकथा....बधाई

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

बहुत बढ़िया सीमा जी... अच्छी लघुकथा

दीपाली का कहना है कि -

वाकई ऐसा भी होता है
अच्छी कहानी.

सुधि सिद्धार्थ का कहना है कि -

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से कुछ काम यानी
दोस्तों के बेवफा होने का वक्त आ गया...आपकी ये कहानी सच्चाई के काफी करीब हैं आज कल सही में लगता है कि सच्चे दोस्त ढूंढने पर भी नहीं मिलते और अगर किसी के पास हैं तो वह दुनिया का सबसे अमीर इंसान हैं...

Anonymous का कहना है कि -

सीमा जी,अच्छा प्रयास.
आलोक सिंह "साहिल"

बलराम अग्रवाल का कहना है कि -

सीमा,मेरी यह टिप्पणी पढ़कर आप कृपया हतोत्साहित न हों, बल्कि लघुकथा की प्रकृति को समझने का प्रयास करें। छोटे आकार की हर रचना लघुकथा नहीं कही जा सकती। यह मात्र एक मन:स्थिति-विशेष की नहीं, बल्कि क्षण-विशेष की कथा है। लम्बा समयांतराल इसे कहानी का सार सिद्ध कर सकता है। आप रचनात्मक शक्ति से भरपूर हैं, इस शक्ति का सार्थक उपयोग करें। फिजूल की प्रशंसा पर ध्यान न दें।

Unknown का कहना है कि -

कहानी अच्छी लगी
एक पुरानी कहानी की याद आ गयी उसमे एक गरीब बच्चे के अमीर बनने पर उसके विचारो मे परिवर्तन दिखाया था कहानी का नाम याद नही बस इतना याद है 9th class मे पढी थी
इसमे निशा के विचारो को दिखाया गया है जब आरती के पास स्कूटर था...

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