tag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post4011436857896104983..comments2023-10-29T17:56:58.797+05:30Comments on कहानी-कलश: डर- नया ज्ञानोदय द्वारा पुरस्कृत ६वीं कहानीगिरिराज जोशीhttp://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-14705018967566446822010-06-26T11:00:19.493+05:302010-06-26T11:00:19.493+05:30जून विशेषांक सबसे बुरे और रचनात्मकता के नाम पर दीव...जून विशेषांक सबसे बुरे और रचनात्मकता के नाम पर दीवालिया टायप के युवा लेखकों – लेखिकाओं की कहानियों से भरा है. ज्योति चावला से कहें कि वह सरिता या गृह्शोभा या मेरी सहेली में लिखे, या फिर ज्ञानोदय भी अब प्रेम , बेवफाई, प्रेम अपराध, यौन कथा, तंत्र – मंत्र, विशेषांक के स्तर पर गिरने को है बस प्रतीक्षा करे.<br />उमा शंकर खुद तो टीक लिख ले फिर श्रीमति को लॉंच करे.<br /><br />वन्दना राग पूरे देश में गाती फिरी कि उसे रवीन्द्र्कालिया, अखिलेश, आलोक जैन ने धमकी दी... मगर इस लद्ध्ड युवा विशेषांक में उनकी लद्धड कहानी की उपस्थिति बताती है कि वन्दना राग को कौन उपेक्षित कर सकता है.अपनी घटिया कहानियाँ वो कहीं भी छ्पा सकती हैं, तहलका हो कि ज्ञानोदय. कमला जी तो वसुधा में उन्हें हर अंक में छाप दें. वो धडाधड हर अंग पर कहानी लिख रही हैं, नाक, कान, आँख, काँख, होंठ, गला..वक्ष…. संपादकों छापो उन्हें. वह तो पति के पद की गरिमा और गौरव अपने कन्धे पर लिए चलती हैं, अभी वो पंकज के साथ कालिया जी से मिलने दफ्तर आई थीं मैं संयोग से वहीं था, गर्व छलका जा रहा था, कालिया जी लपर – लपर…कर रहे थेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-85863590402807496272009-04-09T22:16:00.000+05:302009-04-09T22:16:00.000+05:30इस कहानी के माध्यम से डर की सही परिभाषा बताई है आप...इस कहानी के माध्यम से डर की सही परिभाषा बताई है आपने। वैसे भी अमूर्त चीजों से क्या डरना जब मूर्त चीजें हीं आपके जान की प्यासी हो।<BR/>एक रोमांचक एवं विचारोत्तोजक कहानी के लिए बधाई स्वीकारें।<BR/><BR/>-विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-9144839053236817332009-03-01T18:39:00.000+05:302009-03-01T18:39:00.000+05:30रोचक कहानी. प्रवाहमयी भाषा- सहज घटनाक्रम sanjivsal...रोचक कहानी. प्रवाहमयी भाषा- सहज घटनाक्रम sanjivsalil.blogspot.com<BR/>-divyanarmada.blogspot.comDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-11946068466028840372009-02-25T15:14:00.000+05:302009-02-25T15:14:00.000+05:30शेर और हिरन की दौड़ में अक्सर हिरन ही जीतता है क्यो...शेर और हिरन की दौड़ में अक्सर हिरन ही जीतता है क्योंकि शेर भोजन के लिये दौड़ता है और हिरन जीवन के लिये...... यह बात बहुत ही अच्छी लगी बहुत ही उम्दा कहानी ..बहुत बहुत शुभकामनाएँ..चारुhttps://www.blogger.com/profile/14865148205613538719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-76901023737450480392009-02-12T19:32:00.000+05:302009-02-12T19:32:00.000+05:30ap sabka bahut bahut dhanywad. aisi pratikriyaon s...ap sabka bahut bahut dhanywad. aisi pratikriyaon se bahut protsahan milta hai mitronaddictionofcinemahttps://www.blogger.com/profile/09104872627690609310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-75515500971363771232009-01-22T18:38:00.000+05:302009-01-22T18:38:00.000+05:30आरम्भ से अंत तक बांधे रखने वाली बेहतरीन कहानी...आल...आरम्भ से अंत तक बांधे रखने वाली बेहतरीन कहानी...<BR/>आलोक सिंह "साहिल"आलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-42492488653822979052009-01-22T14:55:00.000+05:302009-01-22T14:55:00.000+05:30विमल जी, जब कहानी पढ़ना शुरू किया तो "डर" शीर्षक ...विमल जी, <BR/><BR/>जब कहानी पढ़ना शुरू किया तो "डर" शीर्षक को खोज रही थी, अंत तक आते आते सिहरन हो रही थी और कहानी समाप्त होते होते डर का स्वरुप बदल चुका था.<BR/><BR/>एक ही साँस में कहानी का उत्तरार्ध समाप्त कर दिया.बहुत ही उम्दा कहानी है, प्रवाह निरंतर बना हुआ है , भाषा भी समयानुकूल है. बहुत बहुत बधाई.<BR/><BR/>पूजा अनिलPooja Anilhttps://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5724241726450852727.post-80461944886717547812009-01-22T10:39:00.000+05:302009-01-22T10:39:00.000+05:30ramanchak kahani hairamanchak kahani haiनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com